खो गई हूँ कहीं कश्मकश में
ज़िंदगी की इस भगदड़ में
क्या सोचा था और क्या हो चली हूँ
किसी और के संग जीवन गढ़ने में
कभी लगता है सब अच्छा है
फिर एहसास होता है कि दिल तो अब भी बच्चा है
कैसे निकलूँ इस झूठी दलदल से
कभी कभी लगता है सब कुछ सच्चा सा है
Illusion or Reality!
Both are part of life.
Indeed a very relatable situation for lot of our readers. Thanks for writing.
Well scribbled Virus.
Happy reading readers
Yours loving
Warrior
अजीब कश्मकश होती है ये ,
जब रिश्तों में एक थकान सी लगती है
झंझावतो में फँसकर , ज़िंदगी,
कुछ परेशान सी लगती है
उम्मीदों पर उम्मीद ही नहीं उतरती खरी
प्रश्नचिन्ह, बेहिसाब लगते हैं
क्योंकर मिल सकेंगे जवाब जब
उत्तर आपके ही , सवाल लगते हैं
LikeLiked by 2 people
Nice lines❤👌👌
LikeLiked by 2 people
Thanks
LikeLiked by 1 person
Amezing
On Thu, 19 Mar, 2020, 11:11 PM Oye Scribblers (Readers’ Paradise), wrote:
> Virus Miki posted: “खो गई हूँ कहीं कश्मकश में ज़िंदगी की इस भगदड़ में क्या
> सोचा था और क्या हो चली हूँ किसी और के संग जीवन गढ़ने में कभी लगता है सब
> अच्छा है फिर एहसास होता है कि दिल तो अब भी बच्चा है कैसे निकलूँ इस झूठी
> दलदल से कभी कभी लगता है सब कुछ सच्चा सा है”
>
LikeLike