मेरी कामत के चर्चे शहर के हर कूचे में थे मकाँ, हमसे किसी के ऊँचे ना थे था ग़ुरूर हमको भी अपनी ज़रा नावाज़ी का अंज़ूमन में होते हैं चर्चे कहना था ख़बरसाजी का हुआ कुछ यूँ था उस दिन महफ़िल सजी एक ख़ास थी अंदर रंगिनिया थी और बाहर क़यामत-ए-बारिश की रात थी जुगलबंदी … Continue reading
Day: November 10, 2019
मेरी कामत के चर्चे शहर के हर कूचे में थे मकाँ, हमसे किसी के ऊँचे ना थे था ग़ुरूर हमको भी अपनी ज़रा नावाज़ी का अंज़ूमन में होते हैं चर्चे कहना था ख़बरसाजी का हुआ कुछ यूँ था उस दिन महफ़िल सजी एक ख़ास थी अंदर रंगिनिया थी और बाहर क़यामत-ए-बारिश की रात थी जुगलबंदी … Continue reading