वो दस रुपय का नोट भी फड़फड़ाता है
ख़र्च होने नख़रे दिखाता है
ठेले पर देख गुपचुप ललचाता है
देख कोई ऑटो वो चिल्लाता है
मिलों चल संग मेरे फिर सकुचाता है
फटी जेब में अपना वजूद छिपाता है
छन्द पंक्तियों में बिखरा में
वो नोट आज भी फड़फड़ाता है
वो दस रुपय का नोट भी फड़फड़ाता है
ख़र्च होने नख़रे दिखाता है
ठेले पर देख गुपचुप ललचाता है
देख कोई ऑटो वो चिल्लाता है
मिलों चल संग मेरे फिर सकुचाता है
फटी जेब में अपना वजूद छिपाता है
छन्द पंक्तियों में बिखरा में
वो नोट आज भी फड़फड़ाता है