वो दस रुपय का नोट भी फड़फड़ाता है ख़र्च होने नख़रे दिखाता है ठेले पर देख गुपचुप ललचाता है देख कोई ऑटो वो चिल्लाता है मिलों चल संग मेरे फिर सकुचाता है फटी जेब में अपना वजूद छिपाता है छन्द पंक्तियों में बिखरा में वो नोट आज भी फड़फड़ाता है
Month: April 2019
भ्रम में बिताया हुआ जमाना
आज फिर से खोज रही हूँ ख़ुद को समय दे रही हूँ अपनी कलम को ज़िन्दगी की कश्मकश में भटक गई थी फिर से गढ़ रही हूँ उस अधूरे ख्वाब को झूठी हँसी के चलते दिल से मुस्कुराना भूल गई थी सब की भावनाओं को समजते खुद की आशाएँ भूल गई थी बनना चाहती थी … Continue reading भ्रम में बिताया हुआ जमाना