लबों पे हँसी और आँखों में नमी है
हर पल ख़ल रही तुम्हरी कमी है
ना जाने कैसे इम्तिहां की घड़ी है
ना सर पे आसमान ना पैरों के नीचे ज़मी है
अब किस मोड़ पर हूँ मैं
समय को रोक लूँ इस सोच में हूँ मैं
जी कर रहा है ख़ुदा से लड़ लू
हर पल हिम्मत खो रही हूँ मैं
एक तो रास्ता दिखा दो मुझे
जाना कहा है ये रास्ता बता दो मुझे
आँखे हैं झिलमिल और मार्ग में धुंद्ध है
एक आशा की किरण तो दिखा दो मुझे
Nice..
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