आज राजनीति का स्तर कितना गिर चला है कि एक ने वर्तमान रुपये की स्थिति की तुलना साहब की माताश्री की आयु (उम्र) से कर दी, तो दूजा इस बात का चुनावी लाभ उठाने को आतुर है।।
साहब कहते हैं कि जब ये लोग ऐसे नहीं निपट सके, तो अब माँ को गाली दे रहे हैं। बहरहाल किसी ने गाली तो किसी को नहीं दी,
हाँ , किसी ऐसे व्यक्ति या उसके परिवार की भारतीय मुद्रा रुपये से तुलना करना एक बहुत बड़ी गलती है, क्योंकि इन साहब ने तो अर्थव्यवस्था को पतन और अधोगति का रास्ता दिखाया है।।
अब देखने वाली बात ये है कि ऐसे चुनावी स्टंट करके फिर कितने मासूमों को साधने में सफल होते हैं। होते भी हैं या नहीं…।।