न जाने क्यों एक ख्याल सा
आ रहा मन में बार बार है।
किस ओर है मुल्क मेरा जा रहा,
और क्या इसकी रफ़्तार है।।
न जाने क्यों ये ख्याल सा
आता मन में बार बार है . . .
इतनी कोशिशें कर कर के
फ़ैलायी जा रही क्यों रार है,
जबकि सबकी उन्नति की कुंजी
एकता, भाईचारा और प्यार है।
बावजूद इस समझ के,
फैलायी जा रही क्यों रार है।
यही सवाल ज़हन में
आ रहा बार बार है…
हम राष्ट्रभक्त हैं भारत माँ के
बदी से नहीं हमें सरोकार है।
नाव में छेद करने से
होता सागर क्या पार है..?
एक सवाल ज़हन में
आ रहा बार बार है
किस ओर है मुल्क मेरा जा रहा
और क्या इसकी रफ़्तार है
किस ओर है मुल्क मेरा जा रहा
और क्या इसकी रफ़्तार है...