आज मेरे इस नायाब मुल्क को
जाने ये हुआ क्या है,
हसरतें हैं ज़ख्मी यहाँ अब
और सबकुछ धुआँ धुआँ सा है।
#समझा जिसे था हीरा हमने
वो निकला टुकड़ा काँच का है,
मेरे इस प्यारे मुल्क को
जाने आज ये हुआ क्या है।।
#CBI के अधिकारियों द्वारा आरोप-प्रत्यारोप के बाद शासन के step (पहले छुट्टी, फिर तबादले, और नवनियुक्ति) द्वारा आहत एक सामान्य नागरिक (आम आदमी) के मन में उठती व्यथा
कि कहीं हमने कुछ गलत तो नहीं कर दिया 14 में…