वो भी क्या वक़्त था
जब 17 और 19 प्यार का नहीं शादी का दौर था
चालीस बरास पहले हुई थी बिदाई,
एक नन्ही सी कलि हुई थी पराई,
बेटी को विदा कर खुश कौन होता है
फिर भी अंगना में गूंज रही थी शहनाई
जाते जाते माँ ने एक बात थी बताई
सुनते ही आँखे हो गई नम और होंठो में हँसी थी आई
कि बेटा जो मिले उसमे काट लेना तू
थोड़ी खुशियां थोड़े आँसू बॉट लेना तू
भूल पर सब की मिट्टी दाल देना तू
हमेशा अपने पास मिठी यादें ही रखना तू
सुन के उसका दिल घबराया
ये सब कैसे होगा विचार आया
उसी वक़्त पिया ने हाथ बढ़ाया
पिया का हाथ थाम उसने कदम बढ़ाया
नए घर में प्रवेष हुआ
बेटी से बहू का सफर तय हुआ
साथ रहने पे प्यार प्रगाढ़ हुआ
माँ बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ
जिम्मेदारी बढ़ी परिवार बढ़ा
रसमें निभाते समय बीतता गया
देखो इस सफर का कितना सुन्दर अंजाम हुआ
चालीसवे वर्षगाँठ में पूरा परिवार एक साथ है खड़ा
-virus_miki
सुंदर
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धन्यवाद
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