कुछ गुस्ताखियां बस हो गई
करनी तो नही थी
दिल तुम्हारा दुखा
पर हमने जानबूझ के
की तो नही थी
कुछ मनमानियां
कुछ दिल की फरमाइशें
दीमग की उधेड़ बिन
नादान थी
कुछ गुस्ताखियां
शैतानी नहीं
हालातो का परिणाम थी
दिल में तुम हरदम ही खास रहे
रोज़ाना बात हो न हो
तुम ज़ज़्बातों में हरदम साथ रहे
जो हो गया
सुधार पाना मुमकिन नहीं
भुला दो ना
क्या ये भी इतना मुश्किल है
विश्वास कर लो दोबारा
गुस्ताख़ दिल नादान है
You never intended but you ended up hurting your best friend…
If you have ever faced this situation with a loved one…You can totally relate to my writings!
Happy reading
Have a peaceful night
Yours loving warrior
Naina
नादानियां है गलतियां नहीं…
भुलाना मुमकिन है पर आसान नहीं
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Beautifully written 👌👌
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Tx shambhavi
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