हो घड़ी कैसी भी,
संग हूँ तेरे
समा हो चाहे कैसा भी
संग हूँ तेरे..
कभी न समझना दूर मुझे तुम
रहना कभी न तुम उदास
बस दिल से लेना पुकार मुझे तुम
पाओगे फिर मुझे तुम अपने पास
गर कभी जो ठोकर खाओ,
“प्रिय मेरे” न तुम घबराओ
सम्भाल लूँगा हर हाल में तुमको
हर संकट से लूंगा बचा मैं तुमको..
रखना तुमको ध्यान सभी का
तुमसे ही है मान सभी का
हो तुम ही तो प्राण सभी का
सहेजना तुम अब ज्ञान सभी का..
दिये हैं तुमको शील सभी अब
बनाया तुम्हें औरों से महान
सभी हैं तुम्हारी ज़िम्मेवारी
रखना तुम्हें सभी का ध्यान..
जीवन के किसी मोड़ पे प्रिये
ग़म के बादल जो तुमको घेरे
हर बार तुम्हारा हाथ थाम के
चलूंगा सदा संग मैं तेरे..
थामे रखना हाथ मेरा सदा
होंगे दूर फिर सभी हनेरे (अंधेरे)
जीवन के हर मोड़ पे प्रिये
संग हूँ तेरे, संग हूँ तेरे…।।
जीवन के हर मोड़ पे प्रिये (स्नेही)
‘आशुसुधा’ संग सदा तुम्हारे
दूर न करना कभी ख़ुद से मुझे तुम
हर साँस, हर कदम, संग हूँ तेरे, संग हूँ तेरे…!!!
👍👍
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🙏
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Wow!!
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बहुत खूब लिखा है।
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🙏
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