हो घड़ी कैसी भी, संग हूँ तेरे समा हो चाहे कैसा भी संग हूँ तेरे.. कभी न समझना दूर मुझे तुम रहना कभी न तुम उदास बस दिल से लेना पुकार मुझे तुम पाओगे फिर मुझे तुम अपने पास गर कभी जो ठोकर खाओ, "प्रिय मेरे" न तुम घबराओ सम्भाल लूँगा हर हाल में तुमको … Continue reading संग हूँ तेरे
Month: September 2017
क्यों ?
Happy reading Yours loving warrior Naina
दानव
नवंबर आठ को इक दानव* आया शुरु शुरु में खूब डराया बड़े बड़ोंं को थोड़ा सताया छोटों को तो वो मार के खाया.. वाह री कुदरत तेरी कैसी माया क्या तुझे ज़रा भी मर्म न आया जो थोड़ा बहुत था बचा बचाया तूने तो वो सब निकलवाया.. बड़ी मुुुश्कि्ल से था कुुुछ ख्वाब सजाया हर … Continue reading दानव
G S T
जी 0 ऐस 0 टी 0 : एक लघुकथा मगरमच्छो को पकड़ने के लिए तालाब से सारा पानी निकाल दिया। परंतु कोई मगरमच्छ नहीं मिला क्योंकि मगरमच्छ उभयचर है वो पृथ्वी पर भी रह सकता है। परंतु पानी के अभाव में सभी छोटी मछलियां मर गईं...!!!
माँ “प्यारी माँँ”
जब भी कभी हम किसी संकट में होते हैं तो पता नहीं कैसे उसे मालूम हो जाता है झट से फोन करती और कहती है बेटा, कहाँ है, कैसा है, सब ठीक तो है ना.. हर छोटा बड़ा दर्द हर छोटी से छोटी बात बिना कहे ही जान जाती है पूछती है, क्या हुआ, … Continue reading माँ “प्यारी माँँ”
माँ
माँ क्या है माँ तू मेरी जिन्द है, तू मेरी जान है हर बार हर जगह मेरी इक तू ही तो पहचान है जो कहते हैं जहान में, सब हम ही हैं करते शायद वो तेरे वास्तविक स्वरूप से अब तक अनजान हैं.. यूँ तो ये जहाँ है इक मुसाफ़िरख़ाना हर कोई यहाँ चार … Continue reading माँ
किरणें ‘आपके’ आफ़ताब की – 3
न झर रही, न झर चुकी है पंखुड़ियाँ इस गुुलाब की तो क्या ज़रूरत है ऐ जानिब इन 'अश्कों के सैलाब' की.. बात बचपन में पढ़ी थी 'सुखों के जिस तालाब' की हैं हमेशा संग हमारे किरणे 'उस' (आपके) आफ़ताब की.. मिल के संग, नित बढ़ते चलेंगे है बात ये उनके ख्वाब की हमेशा हैं संग हमारे किरणें 'आपके' आफ़ताब … Continue reading किरणें ‘आपके’ आफ़ताब की – 3
Ramdhari Singh Dinkar
जला अस्थियाँ बारी-बारी चिटकाई जिनमें चिंगारी, जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर लिए बिना गर्दन का मोल कलम, आज उनकी जय बोल। जो अगणित लघु दीप हमारे तूफानों में एक किनारे, जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन माँगा नहीं स्नेह मुँह खोल कलम, आज उनकी जय बोल। पीकर जिनकी लाल शिखाएँ उगल रही सौ लपट दिशाएं, जिनके … Continue reading Ramdhari Singh Dinkar
अपने सपने
If my less words touch you,smile for me today. Happy reading Keep spreading love💕 Yours loving warrior Naina
Dear Whatsoever!!
Dear Whatsoever (you hardly matter now), Remember those text messages we used to send each other when there was no WhatsApp Remember those long phone calls when we did not had free calling facility Remember the time when SMS pack was as important as food I still have those messages archived Remember the other day … Continue reading Dear Whatsoever!!