एक सांस की तलाश में
मैं आहें भर रही थी
बन्द कमरे में जैसे
घुटन सी हो रही थी
हवा नही बस साँस चाहिए थी
फरीशता भी परेशान था
बंधी खुद था
वो भी नहीं आजाद था
फिर किसी तरह फ़रिशते ने
चाभी ली
कमरे से मुझे रिहाई दी
उसने मुझे आजादी दी
घुटन अब नहीं सांसे हैं
हवाएं मिली तो ठीक
नहीं मिली तो भी
सांसे ही हवाओ सी आज़ाद हैं
आज़ाद मैं आजाद मेरा आसमान है
हवाये नही बस साँसें मिली हैं
खुश हूँ फिर भी
क्योंकि आजादी मिली हैं
Happy reading readers!
Yours loving warrior
Naina
Saanse mili hai aaj
Ghutan se aazadi bhi
Mil jaayega pura aasmaan
Udaan kuch baaki hai abhi
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🤓🤞🤗
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